अग्निपुराण अध्याय १८६
अग्निपुराण अध्याय १८६ में दशमी
तिथि के व्रत का वर्णन है।
अग्निपुराणम् षडशीत्यधिकशततमोऽध्यायः
Agni puran chapter 186
अग्निपुराण एक सौ छियासीवाँ अध्याय
अग्निपुराणम्/अध्यायः १८६
अग्निपुराणम् अध्यायः १८६ – दशमीव्रतं
अथ षडशीत्यधिकशततमोऽध्यायः
अग्निरुवाच
दशमीव्रतकं वक्ष्ये धर्मकामादिदायकं
।
दशम्यामेकभक्ताशी समाप्ते दशधेनुदः
॥०१॥
दिशश्च काञ्चनीर्दद्याद्ब्राह्मणाधिपतिर्भवेत्
॥०२॥
अग्निदेव कहते हैं- वसिष्ठ! अब मैं
दशमी सम्बन्धी व्रत के विषय में कहता हूँ, जो
धर्म-कामादि की सिद्धि करनेवाला है। दशमी को एक समय भोजन करे और व्रत के समाप्त
होने पर दस गौओं और स्वर्णमयी प्रतिमाओं का दान करे। ऐसा करने से मनुष्य ब्राह्मण
आदि चारों वर्णों का अधिपति होता है ॥ १-२ ॥
इत्याग्नेये महापुराणे दशमीव्रतानि
नाम षडशीत्यधिकशततमोऽध्यायः ॥
इस प्रकार आदि आग्नेय महापुराण में 'दशमी के व्रतों का वर्णन' नामक एक सौ छियासीवां
अध्याय पूरा हुआ ॥ १८६॥
आगे जारी.......... अग्निपुराण अध्याय 187
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