Slide show
Ad Code
JSON Variables
Total Pageviews
Blog Archive
-
▼
2023
(355)
-
▼
April
(72)
- श्रीहरि स्तुति
- भगवत्स्तुति
- भगवत् स्तुति
- शंकर स्तुति
- सुदर्शन स्तोत्र
- अग्निपुराण अध्याय ३६
- अग्निपुराण अध्याय ३५
- अग्निपुराण अध्याय ३४
- गीतगोविन्द तृतीय सर्ग मुग्ध मधुसूदन
- नारायण स्तुति
- कपिल स्तुति
- अग्निपुराण अध्याय ३३
- अग्निपुराण अध्याय ३२
- पुंसवन व्रत
- यज्ञपुरुष स्तुति
- कुशापामार्जन स्तोत्र
- अग्निपुराण अध्याय ३०
- अग्निपुराण अध्याय २९
- अग्निपुराण अध्याय २८
- अग्निपुराण अध्याय २७
- अग्निपुराण अध्याय २६
- अग्निपुराण अध्याय २५
- अग्नि पुराण अध्याय २४
- अग्नि पुराण अध्याय २३
- अग्निपुराण अध्याय २२
- अग्निपुराण अध्याय २१
- चाणक्य नीति
- चाणक्य नीति अध्याय १७
- चाणक्य नीति अध्याय १६
- चाणक्य नीति अध्याय १५
- चाणक्य नीति अध्याय १४
- चाणक्यनीति अध्याय १३
- चाणक्यनीति अध्याय १२
- चाणक्यनीति अध्याय ११
- चाणक्यनीति अध्याय १०
- चाणक्यनीति अध्याय ९
- चाणक्यनीति अध्याय ८
- अग्निपुराण अध्याय २०
- अग्निपुराण अध्याय १९
- अग्निपुराण अध्याय १८
- अग्निपुराण अध्याय १७
- अग्निपुराण अध्याय १६
- अग्निपुराण अध्याय १५
- अग्निपुराण अध्याय १४
- अग्निपुराण अध्याय १३
- अग्निपुराण अध्याय १२
- चाणक्यनीति अध्याय 7
- चाणक्यनीति अध्याय ६
- चाणक्यनीति अध्याय ५
- रामाज्ञा प्रश्न Ramagya prashna
- रामाज्ञा प्रश्न शकुन जानने की विधी
- रामज्ञा प्रश्न सप्तम सर्ग
- रामज्ञा प्रश्न षष्ठ सर्ग
- रामज्ञा प्रश्न पंचम सर्ग
- रामज्ञा प्रश्न चतुर्थ सर्ग
- रामज्ञा प्रश्न तृतीय सर्ग
- रामज्ञा प्रश्न द्वितीय सर्ग
- रामज्ञा प्रश्न प्रथम सर्ग
- अष्ट पदि ६ कुञ्जर तिलक
- कालिका पुराण अध्याय २७
- कालिका पुराण अध्याय २६
- कालिका पुराण अध्याय २५
- कालिका पुराण अध्याय २४
- योगनिद्रा स्तुति
- चाणक्यनीति अध्याय ४
- चाणक्यनीति अध्याय ३
- चाणक्यनीति अध्याय २
- चाणक्यनीति अध्याय १
- रुद्रयामल तंत्र पटल ४५
- त्रितत्त्वलाकिनी स्तवन
- रुद्रयामल तंत्र पटल ४३
- राकिणी केशव सहस्रनाम
-
▼
April
(72)
Search This Blog
Fashion
Menu Footer Widget
Text Widget
Bonjour & Welcome
About Me
Labels
- Astrology
- D P karmakand डी पी कर्मकाण्ड
- Hymn collection
- Worship Method
- अष्टक
- उपनिषद
- कथायें
- कवच
- कीलक
- गणेश
- गायत्री
- गीतगोविन्द
- गीता
- चालीसा
- ज्योतिष
- ज्योतिषशास्त्र
- तंत्र
- दशकम
- दसमहाविद्या
- देवी
- नामस्तोत्र
- नीतिशास्त्र
- पञ्चकम
- पञ्जर
- पूजन विधि
- पूजन सामाग्री
- मनुस्मृति
- मन्त्रमहोदधि
- मुहूर्त
- रघुवंश
- रहस्यम्
- रामायण
- रुद्रयामल तंत्र
- लक्ष्मी
- वनस्पतिशास्त्र
- वास्तुशास्त्र
- विष्णु
- वेद-पुराण
- व्याकरण
- व्रत
- शाबर मंत्र
- शिव
- श्राद्ध-प्रकरण
- श्रीकृष्ण
- श्रीराधा
- श्रीराम
- सप्तशती
- साधना
- सूक्त
- सूत्रम्
- स्तवन
- स्तोत्र संग्रह
- स्तोत्र संग्रह
- हृदयस्तोत्र
Tags
Contact Form
Contact Form
Followers
Ticker
Slider
Labels Cloud
Translate
Pages
Popular Posts
-
मूल शांति पूजन विधि कहा गया है कि यदि भोजन बिगड़ गया तो शरीर बिगड़ गया और यदि संस्कार बिगड़ गया तो जीवन बिगड़ गया । प्राचीन काल से परंपरा रही कि...
-
रघुवंशम् द्वितीय सर्ग Raghuvansham dvitiya sarg महाकवि कालिदास जी की महाकाव्य रघुवंशम् प्रथम सर्ग में आपने पढ़ा कि-महाराज दिलीप व उनकी प...
-
रूद्र सूक्त Rudra suktam ' रुद्र ' शब्द की निरुक्ति के अनुसार भगवान् रुद्र दुःखनाशक , पापनाशक एवं ज्ञानदाता हैं। रुद्र सूक्त में भ...
Popular Posts
अगहन बृहस्पति व्रत व कथा
मार्तण्ड भैरव स्तोत्रम्
अग्निपुराण अध्याय ३२
अग्निपुराण अध्याय ३२ निर्वाणादि-दीक्षा
की सिद्धि के उद्देश्य से सम्पादनीय संस्कारों का वर्णन है।
अग्निपुराणम् अध्यायः ३२
Agni puran chapter 32
अग्निपुराण बत्तीसवाँ अध्याय
अग्नि पुराण अध्याय ३२
अग्निपुराणम् अध्यायः ३२- संस्कारकथनं
अथ द्वात्रिंशोऽध्यायः
अग्निरुवाच
निर्वाणादिषु दीक्षासु
चत्त्वारिंशत्तथाष्ट च ।
संस्कारान् कारयेद्धीमान्
शृणुतान्यैः सुरो भवेत् ॥३२.००१
गर्भाधानन्तु योन्यां वै ततः
पुंसवनञ्चरेत् ।
सीमन्तोन्नयनञ्चैव जातकर्म च नाम च
॥३२.००२
अन्नाशनं ततश्चूडा
ब्रह्मचर्यव्रतानि च ।
चत्वारि वैष्णवी पार्थी भौतिकी
श्रोत्रिकी तथा ॥३२.००३
गोदानं सूतकत्वञ्च पाकयज्ञाश्च सप्त
ते ।
अष्टका पार्वणश्राद्धं
श्रावण्यग्रायणीति च ॥३२.००४
चैत्री चाश्वयुजी सप्त
हविर्यज्ञांश्च तान् शृणु ।
आधानञ्चाग्निहोत्रञ्च दर्शो वै
पौर्णमासकः ॥३२.००५
चातुर्मास्यं पशुबन्धः
सौत्रामणिरथापरः ।
सोमसंस्थाः सप्त शृणु अग्निष्टोमः
क्रतूत्तमः ॥३२.००६
अत्यग्निष्टोम उक्थश्च षोडशो
वाजपेयकः ।
अतिरात्राप्तोर्यामश्च सहस्रेशाः
सवा इमे ॥३२.००७
हिरण्याङ्घ्रिर्हिरण्याक्षो
हिरण्यमित्र इत्यतः ।
हिरण्यपाणिर्हेमाक्षो हेमाङ्गो
हेमसूत्रकः ॥३२.००८
हिरण्यास्यो हिरण्याङ्गो हेमजिह्वो
हिरण्यवान् ।
अश्वमेधो हि सर्वेशो गुणाश्चाष्टाथ
तान् शृणु ॥३२.००९
दया च सर्वभूतेषु क्षान्तिश्चैव
तथार्जवम् ।
शौचं चैवमनायासो मङ्गलं चापरो गुणः
॥३२.०१०
अकार्पण्यञ्चास्पृहा च मूलेन
जुहुयाच्छतम् ।
सौरशाक्तेयविष्ण्वीशदीक्षास्त्वेते
समाः स्मृताः ॥३२.०११
संस्कारैः
संस्कृतश्चैतैर्भुक्तिमुक्तिमवाप्नुयात् ।
सर्वरोगाद्विनिर्मुक्तो
देववद्वर्तते नरः ।
जप्याद्धोमात्पूजनाच्च
ध्यानाद्देवस्य चेष्टभाक् ॥३२.०१२
अग्निदेव कहते हैं- ब्रह्मन् !
बुद्धिमान् पुरुष निर्वाणादि दीक्षाओं में अड़तालीस संस्कार करावे । उन संस्कारों का
वर्णन सुनिये, जिनसे मनुष्य देवतुल्य हो जाता
है। सर्वप्रथम योनि में गर्भाधान, तदनन्तर पुंसवन संस्कार
करे। फिर सीमन्तोन्नयन, जातकर्म, नामकरण,
अन्नप्राशन, चूडाकर्म, चार
ब्रह्मचर्यव्रत-वैष्णवी, पार्थी, भौतिकी
और श्रौतिकी, गोदान, समावर्तन, सात पाकयज्ञ-अष्टका, अन्वष्टका पार्वणश्राद्ध,
श्रावणी, आग्रहायणी, चैत्री
एवं आश्वयुजी, सात हविर्यज्ञ-आधान, अग्निहोत्र,
दर्श, पौर्णमास, चातुर्मास्य,
पशुबन्ध तथा सौत्रामणी, सात सोमसंस्थाएँ —
यज्ञ श्रेष्ठ अग्निष्टोम, अत्यग्निष्टोम,
उक्थ्य, षोडशी, वाजपेय,
अतिरात्र एवं आप्तोर्याम; सहस्रेश यज्ञ -
हिरण्याङ्घ्रि, हिरण्याक्ष, हिरण्यमित्र,
हिरण्यपाणि, हेमाक्ष, हेमाङ्ग,
हेमसूत्र, हिरण्यास्य, हिरण्याङ्ग,
हेमजिह्व, हिरण्यवान् और सब यज्ञों का स्वामी
अश्वमेधयज्ञ तथा आठ गुण- सर्वभूतदया, क्षमा, आर्जव, शौच, अनायास, मङ्गल, अकृपणता और अस्पृहा- ये संस्कार करे। इष्टदेव
के मूल- मन्त्र से सौ आहुतियाँ दे। सौर, शाक्त, वैष्णव तथा शैव-सभी दीक्षाओं में ये समान माने गये हैं। इन संस्कारों से
संस्कृत होकर मनुष्य भोग- मोक्ष को प्राप्त करता है। वह सम्पूर्ण रोगादि से मुक्त
होकर देववत् हो जाता है। मनुष्य अपने इष्टदेवता के जप, होम,
पूजन तथा ध्यान से इच्छित वस्तु को प्राप्त करता है ॥ १-१२ ॥
इत्यादिमहापुराणे आग्नेये
अष्टचत्वारिंशत्संस्कारकथनं नाम द्वात्रिंशोऽध्यायः॥
इस प्रकार आदि आग्रेय महापुराण में 'निर्वाणादि-दीक्षा की सिद्धि के उद्देश्य से सम्पादनीय संस्कारों का वर्णन
नामक बत्तीसवाँ अध्याय पूरा हुआ ॥ ३२ ॥
आगे जारी.......... अग्निपुराण अध्याय 33
Related posts
vehicles
business
health
Featured Posts
Labels
- Astrology (7)
- D P karmakand डी पी कर्मकाण्ड (10)
- Hymn collection (38)
- Worship Method (32)
- अष्टक (54)
- उपनिषद (30)
- कथायें (127)
- कवच (61)
- कीलक (1)
- गणेश (25)
- गायत्री (1)
- गीतगोविन्द (27)
- गीता (34)
- चालीसा (7)
- ज्योतिष (32)
- ज्योतिषशास्त्र (86)
- तंत्र (182)
- दशकम (3)
- दसमहाविद्या (51)
- देवी (190)
- नामस्तोत्र (55)
- नीतिशास्त्र (21)
- पञ्चकम (10)
- पञ्जर (7)
- पूजन विधि (80)
- पूजन सामाग्री (12)
- मनुस्मृति (17)
- मन्त्रमहोदधि (26)
- मुहूर्त (6)
- रघुवंश (11)
- रहस्यम् (120)
- रामायण (48)
- रुद्रयामल तंत्र (117)
- लक्ष्मी (10)
- वनस्पतिशास्त्र (19)
- वास्तुशास्त्र (24)
- विष्णु (41)
- वेद-पुराण (691)
- व्याकरण (6)
- व्रत (23)
- शाबर मंत्र (1)
- शिव (54)
- श्राद्ध-प्रकरण (14)
- श्रीकृष्ण (22)
- श्रीराधा (2)
- श्रीराम (71)
- सप्तशती (22)
- साधना (10)
- सूक्त (30)
- सूत्रम् (4)
- स्तवन (109)
- स्तोत्र संग्रह (711)
- स्तोत्र संग्रह (6)
- हृदयस्तोत्र (10)
No comments: