Slide show
Ad Code
JSON Variables
Total Pageviews
Blog Archive
-
▼
2022
(523)
-
▼
February
(54)
- गायत्री कवच
- दत्तात्रेयतन्त्र पटल १७
- दत्तात्रेयतन्त्र पटल १६
- नारदसंहिता अध्याय ३०
- दत्तात्रेयतन्त्र पटल १५
- नारदसंहिता अध्याय २९
- दत्तात्रेयतन्त्र पटल १४
- नारदसंहिता अध्याय २८
- दत्तात्रेयतन्त्र पटल १३
- उच्चाटन प्रयोग
- नारदसंहिता अध्याय २७
- नारदसंहिता अध्याय २६
- नारदसंहिता अध्याय २५
- दत्तात्रेयतन्त्र पटल १२
- नारदसंहिता अध्याय २४
- दत्तात्रेयतन्त्र पटल ११
- नारदसंहिता अध्याय २३
- दत्तात्रेयतन्त्र पटल १०
- नारदसंहिता अध्याय २२
- मोहन प्रयोग
- नारदसंहिता अध्याय २१
- दत्तात्रेयतन्त्र पटल ९
- नारदसंहिता अध्याय २०
- दत्तात्रेयतन्त्र पटल ८
- मारण प्रयोग
- दत्तात्रेयतन्त्र पटल ७
- गीता
- नारदसंहिता अध्याय १९
- रघुवंशम् सर्ग 8
- नारदसंहिता अध्याय १८
- नारदसंहिता अध्याय १७
- नारदसंहिता अध्याय १६
- दत्तात्रेयतन्त्रम् पटल ६
- नारदसंहिता अध्याय १५
- नारदसंहिता अध्याय १४
- नारदसंहिता अध्याय १३
- रामायण
- सप्तशती
- कार्यपरत्व नवार्ण मंत्र
- नवार्ण मंत्र रहस्य
- नवार्ण मंत्र प्रयोग
- दत्तात्रेयतन्त्रम् पंचम पटल
- दत्तात्रेयतन्त्रम् चतुर्थ पटल
- मन्त्रमहोदधि तरङ्ग ९
- अन्नपूर्णाकवच
- अन्नपूर्णा स्तोत्र
- दत्तात्रेयतन्त्रम् तृतीय पटल
- दत्तात्रेयतन्त्रम् द्वितीय पटल
- दत्तात्रेयतन्त्रम् प्रथम पटल
- नारदसंहिता अध्याय १२
- चंडिकामाला मंत्र प्रयोग
- दुर्गातंत्र - दुर्गाष्टाक्षरमंत्रप्रयोग
- दुर्गा तंत्र
- मन्त्र प्रतिलोम दुर्गासप्तशती
-
▼
February
(54)
Search This Blog
Fashion
Menu Footer Widget
Text Widget
Bonjour & Welcome
About Me
Labels
- Astrology
- D P karmakand डी पी कर्मकाण्ड
- Hymn collection
- Worship Method
- अष्टक
- उपनिषद
- कथायें
- कवच
- कीलक
- गणेश
- गायत्री
- गीतगोविन्द
- गीता
- चालीसा
- ज्योतिष
- ज्योतिषशास्त्र
- तंत्र
- दशकम
- दसमहाविद्या
- देवी
- नामस्तोत्र
- नीतिशास्त्र
- पञ्चकम
- पञ्जर
- पूजन विधि
- पूजन सामाग्री
- मनुस्मृति
- मन्त्रमहोदधि
- मुहूर्त
- रघुवंश
- रहस्यम्
- रामायण
- रुद्रयामल तंत्र
- लक्ष्मी
- वनस्पतिशास्त्र
- वास्तुशास्त्र
- विष्णु
- वेद-पुराण
- व्याकरण
- व्रत
- शाबर मंत्र
- शिव
- श्राद्ध-प्रकरण
- श्रीकृष्ण
- श्रीराधा
- श्रीराम
- सप्तशती
- साधना
- सूक्त
- सूत्रम्
- स्तवन
- स्तोत्र संग्रह
- स्तोत्र संग्रह
- हृदयस्तोत्र
Tags
Contact Form
Contact Form
Followers
Ticker
Slider
Labels Cloud
Translate
Pages
Popular Posts
-
मूल शांति पूजन विधि कहा गया है कि यदि भोजन बिगड़ गया तो शरीर बिगड़ गया और यदि संस्कार बिगड़ गया तो जीवन बिगड़ गया । प्राचीन काल से परंपरा रही कि...
-
रघुवंशम् द्वितीय सर्ग Raghuvansham dvitiya sarg महाकवि कालिदास जी की महाकाव्य रघुवंशम् प्रथम सर्ग में आपने पढ़ा कि-महाराज दिलीप व उनकी प...
-
रूद्र सूक्त Rudra suktam ' रुद्र ' शब्द की निरुक्ति के अनुसार भगवान् रुद्र दुःखनाशक , पापनाशक एवं ज्ञानदाता हैं। रुद्र सूक्त में भ...
Popular Posts
अगहन बृहस्पति व्रत व कथा
मार्तण्ड भैरव स्तोत्रम्
दत्तात्रेयतन्त्रम् तृतीय पटल
श्रीदत्तात्रेयतन्त्रम् द्वितीय पटल
में आपने मारणप्रयोग पढ़ा, अब तृतीय पटल में मोहन प्रयोग वर्णित है ।
दत्तात्रेयतन्त्र पटल ३
श्रीदत्तात्रेयतन्त्रम् तृतीय पटलः
दत्तात्रेयतन्त्र तीसरा पटल
श्रीदत्तात्रेयतन्त्रम्
अथ तृतीयः पटलः
मोहनप्रयोगाः अथवा मोहनाभिधानः
ईश्वर उवाच
अथातः सम्प्रवक्ष्यामि प्रयोगं
मोहनाभिधम् ।
सद्यः सिद्धिकरं नृणां श्रृणु
योगीन्द्र यत्नतः ॥ १॥
शिवजी बोले-हे योगींद्र ! अब मोहन के
प्रयोग का कहता हूं जिसके सुनने से मनुष्यों को शीघ्र सिद्धि प्राप्त होती है उसको तुम यत्न से सुनों ॥ १।।
तुलसीबीजचूर्णं तु सहदेव्या रसेन च
।
रवौ यस्तिलकं कुर्यान्मोहयेत्सकलं
जगत् ॥ २॥
रविवार के दिन तुलसी के बीजों का
चूर्ण सहदेवी के रस में मिलाकर तिलक लगाने से मनुष्य सब जगत् को मोह लेता है । २
॥
हरितालं चाश्वगन्धां
पेषयेत्कदलीरसैः।
गोरोचनेन संयुक्तं तिलकं लोकमोहनम्
॥ ३॥
हरताल,
असगन्ध और गोरोचन को केले के रस में पीस तिलक लगाने से मनुष्य सबको
मोहित करता है ॥ ३ ॥
श्रृंगी
चन्दनसंयुक्तोवचाकुष्ठसमन्वितम् ।
धूपौ देहे तथा वस्त्रे मुखे चैव
विशेषतः ॥४ ॥
राजप्रजापक्षिपशुदर्शनान्मोहकारकम्
।
गृहीत्वा मूलताम्बूलं तिलकं
लोकमोहनम् ॥ ५॥
काकडासिंघी,
चंदन, वच और कूठकी धूप शरीर में, मुख में और वस्त्रों में दे तो देखते ही राजा, प्रजा
और पशु, पक्षी मोहित हो जाते हैं। पान की जड को पीस तिलक
लगाने से भी सब मोहित हो जाते हैं ॥४ - ५ ॥
सिन्दूरं कुंकुमं चैव गोरोचनसमन्वितम्
।
धात्रीरसेन
सम्पिष्टं तिलकं लोकमोहनम् ॥ ६॥
सिन्दूर,
केशर और गोरोचन को आमले के रस में पीस तिलक लगाने से सब मोहित हो जाते
हैं ।। ६ ॥
मनःशिलाञ्च कर्पूरं पेषयेत्कदली
रसे: ।
तिलकं मोहनं नृणां नान्यथा मम
भाषितम् ॥ ७ ।।
मनशिल,
कपूर को केले के रस में पीस तिलक लगाने से सब मनुष्यों को मोहित
करता है यह मेरा सत्य वचन जानो ।। ७ ॥
सिन्दूरञ्च वचां श्वेतां ताम्बुलरसपेषिताम्
।
अनेनैव तु मन्त्रेण तिलकं लोकमोहनम्
।। ८ ।।
सिन्दूर और सफेद वच को पान के रस में
पीसकर मंत्र से अभिमंत्रित कर तिलक लगाने से सबको मोह लेता है ।। ८ ।।
भृड्गराजो ह्यपामार्गों लाजा च
सहदेविका ।
एभिस्तु तिलकं कृत्वा त्रेलोक्यं
मोहयेन्नर: ।। ९ ॥
भांगरा,
अपामार्ग, लज्जावंती और सहदेवी को पीस तिलक
लगाकर मनुष्य त्रिलोकी को मोह लेता है ॥ ९ ।।
श्वेतदूर्वा गृहीत्वा तु हरितालञ्च
पेषयेत् ।
एभिस्तु तिलकं कृत्वा त्रैलोक्यं मोहयेन्नर: ॥ १० ॥
सफेद दूर्वा को हरिताल के साथ पीस
तिलक लगाकर मनुष्य त्रिलोकी को मोह लेता है ॥ १० ॥
गृहीत्वौदुम्बरं पुष्पं वर्ति
कृत्वा विचक्षण:।
नवनीतेन प्रज्वाल्य कज्जलं कारयेन्नीशि
॥ ११ ॥।
कज्जलं
चाञ्जयेन्नेत्रे मोहनं सर्वतो जगत ।
यस्मै कस्मै न दात्तव्यं देवानामपि
दुर्लभभ् ॥ १२ ॥
बुद्धिमान् मनुष्य गूलर के फूल की
बत्ती बनाय मक्खन से दीपक रात्रि में जलाकर काजल पारे । उस काजल को नेत्रों में
लगाने से मनुष्य सब जगत् को मोहित करता है, यह
प्रयोग देवताओं को भी दुर्लभ हैं अतएव हरएक को न दे॥ ११- १२॥
श्वेतगुञ्जारसे पेष्यं
ब्रह्मदण्डीयमूलकम् ।
लेपमात्रे शरीराणां मोहनं सर्वतो
जगत् ॥ १३ ।॥॥
ब्रह्मदण्डी को सफेद घुंघुची के रस में
पीस शरीर में लेपमात्र करने से सब जगत् को मोहित करता है ।। १३ ॥
बिल्वपत्रं गृहीत्वा तु छायाशुष्कं
तु कारयेत् ।
कपिलापयसा युक्तं वटीं कृत्वा तु
गोलकम् ।॥ १४ ॥।
एभिस्तु तिलकं कृत्वा मोहनं सर्वतो
जगत् ।
क्षणेन मोहनं याति प्राणैरपि धनैरपि॥
१५॥
बेल के पत्तों को ले छाया में
सुखांय कपिला गौ के दूध में पीस गोली बनावे। इस गोली के तिलक लगाने से सम्पूर्ण जगत्
प्राण और धन से मोहित हो जाता है।। १४ - १५ ॥
श्वेतार्कमूलमादाय श्वेतचन्दनसंयुतम्
।
अनेन लेपयेद्वेहं मोहनं सर्वतो जगत्
॥ १६ ॥
सफेद आक की जड को सफेद चंदन में
मिलाकर शरीर में लगाने से सब जगत् मोहित हो जाता है ॥ १६ ॥
विजयापत्रमादाय शवेतसर्षसंयुतम् ।
अनेन
लेपयेदेहे मोहनं सर्वतो जगत् ॥ १७ ॥
भांग को सफेद सरसों में मिला शरीर में
लेप करने से जगत् मोहित हो जाता है ।१७॥
गृहीत्वा तुलसीपत्रं छायाशुष्कं तु
कारयेत् ।
अश्वगंधासमायुक्तं विजया बीजसंयुतम्
॥ १८ ॥
कपिलादुग्धसार्द्धन बटी टंकप्रमाणत:
।
भक्षिता प्रातरुत्थाय मोहनं सर्वतो
जगत् ॥ १९ ॥
तुलसी के पत्तों को छाया में सुखाय
असगंध और भांग मिलाकर कपिला गौ के दूध के साथ चार मासे की गोली बनावे। यह गोली
प्रात: समय खाने से मनुष्य सब जगत् को मोह लेता है ॥ १८ - १९॥
कटुतुम्बीबीजतैलं ज्वालयेत्पटर्वत्तिकाम्
।
कज्जलं चाञ्जयज्नेत्रे मोहनं सर्वतो
जगत् ॥। २० ॥
कडुई तोंबी के तेल में कपडे की
बत्ती डाल दीपक 'जलाय काजल वारे फिर
उसे नेत्रों में लगाने से सब जग को मोह लेता है ॥ २० ॥
पंचांगदाडमी पिष्ट्वा श्वेतगुंजासमन्विताम्
।
एभिस्तु तिलकं कृत्वा मोहनं सर्वतो जगत्
॥ २१।
दाडमी के पंचांगों को सफेद घुंघुची के
साथ पीसकर तिलक लगाने से सब जगत को मोह लेता है ॥ २१ ॥
इतिश्रीदत्तात्रेयतंत्रे
दत्तात्रेयेश्वरसंवादे मोहनप्रयोग कथनंनाम तृतीय:पटल: ६
आगे जारी........ श्रीदत्तात्रेयतन्त्रम् पटल ४ ॥
Related posts
vehicles
business
health
Featured Posts
Labels
- Astrology (7)
- D P karmakand डी पी कर्मकाण्ड (10)
- Hymn collection (38)
- Worship Method (32)
- अष्टक (54)
- उपनिषद (30)
- कथायें (127)
- कवच (61)
- कीलक (1)
- गणेश (25)
- गायत्री (1)
- गीतगोविन्द (27)
- गीता (34)
- चालीसा (7)
- ज्योतिष (32)
- ज्योतिषशास्त्र (86)
- तंत्र (182)
- दशकम (3)
- दसमहाविद्या (51)
- देवी (190)
- नामस्तोत्र (55)
- नीतिशास्त्र (21)
- पञ्चकम (10)
- पञ्जर (7)
- पूजन विधि (80)
- पूजन सामाग्री (12)
- मनुस्मृति (17)
- मन्त्रमहोदधि (26)
- मुहूर्त (6)
- रघुवंश (11)
- रहस्यम् (120)
- रामायण (48)
- रुद्रयामल तंत्र (117)
- लक्ष्मी (10)
- वनस्पतिशास्त्र (19)
- वास्तुशास्त्र (24)
- विष्णु (41)
- वेद-पुराण (691)
- व्याकरण (6)
- व्रत (23)
- शाबर मंत्र (1)
- शिव (54)
- श्राद्ध-प्रकरण (14)
- श्रीकृष्ण (22)
- श्रीराधा (2)
- श्रीराम (71)
- सप्तशती (22)
- साधना (10)
- सूक्त (30)
- सूत्रम् (4)
- स्तवन (109)
- स्तोत्र संग्रह (711)
- स्तोत्र संग्रह (6)
- हृदयस्तोत्र (10)
No comments: