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गीतेन गायन् करुणाकरस्य
ब्रह्मस्वरूपं हृदयेन विष्णोः ।
सहानुप्रासैर्जयतात्कवीन्द्रः
प्रदीप्तनन्दो मुरलीविमुग्धः ॥
कलाकलेवरकृष्ण करुणाकर
सुभद्रासहितबलरामसुन्दर ॥
सुललितहस्तिवेशसुमनोहरः
करपादहीनविभुपरमेश्वरः ।
स्नानमण्डपपण्डितरसनागर
कलाकलेवरकृष्ण करुणाकर ॥ १॥
विरहविधुरराधाकान्तसुन्दर
शीतलातरलनीरशीतलतर ।
ब्रह्मदारुजगन्नाथसुखनिकर
कलाकलेवरकृष्ण करुणाकर ॥ २॥
भट्टभक्तिधर विभो निर्जरवर
अक्षयकीर्तिगदित दयासागर ।
दर्शनविकलमनो नन्दकुमार
कलाकलेवरकृष्ण करुणाकर ॥ ३॥
गोपरमणीरमणगोपनचोर
वेणुनादसुरभितयमुनातीर ।
कुरु कुशलं विष्णो नन्दकिशोर
कलाकलेवरकृष्ण करुणाकर ॥ ४॥
अष्टोत्तरशतघटस्वर्णसुकर
शुभवासकूपजलस्नानविधुर ।
समन्त्रसवाद्यनादशोभनकर
कलाकलेवरकृष्ण करुणाकर ॥ ५॥
इति नन्दप्रदीप्तकुमारविरचितं
जगन्नाथगीतामृतं सम्पूर्णम् ।
जगन्नाथगीतामृतं २
देहि पदपल्लवमुदारम् ।
नीलाचलधामपुरी- दारुब्रह्मनरहरिः
करुणाकटाक्षवारि सिञ्च सत्वरं
देहि०॥ ध्रुवम्॥
श्रीपुरुषोत्तम प्रभो राजीवलोचनविभो
गुण्डिचाविलासपतिः रथयात्रामहारति
स्तनयचित्कारवाचं श्रृणु सत्वरं,
देहि० ॥ १॥
अद्वयतत्त्वमुरारिः लीलाऽवयवविहारी
कैवल्यकणविधारी परमेश्वरश्रीहरिः
नवधाशीतलभक्तिं देहि सत्वरं,
देहि० ॥ २॥
सगुणनिर्गुणातीतः
साक्षिचैतन्यविदितः
जगन्नाथनामाश्रित-सर्वदर्शनघोषितः
तारय गोलोकनाथ भवसंसारं,
देहि० ॥ ३॥
इति नन्दप्रदीप्तकुमारविरचितं
जगन्नाथगीतामृतं सम्पूर्णम् ।
श्रीजगन्नाथगीतामृतम् ३
पूतपयोधिनिकटवटमूलमन्दिरलीलाप्रकाशम्
।
दारुदेवजगन्नाथसुविदितकृष्णकलेवरभासम्
॥
भज श्रृङ्गारकोटिविशेषम् ।
चिन्तय
चिन्तामणिनीलमाधवपुरीपुरधृतवासम् ॥ ध्रुवम् ॥
पामरतारणकारणतत्परदर्शनशीतलस्पर्शम्
।
नन्दिघोषमहामण्डपमण्डितशवरसेवितदृश्यम्
॥ १॥
रथगमनघोरघर्घरनादितजयजगन्नाथघोषं
सिद्धसुरमुनिभक्तविनोदितनारीमुखध्वनिहर्षम्
॥ २॥
टाहिआबन्धितमुकुटमेदुरो धूनयति
प्रचकर्षम् ।
खण्डितपहण्डिमन्दगमनमहो मोदयति
मदकर्षम् ॥ ३॥
रम्यपुरीविशालपथसुन्दरपुण्यबडदाण्ड-आर्षम्
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॥ ४॥
आडपमण्डपगुण्डिचाविधुरदुर्लभभूषणकोशम्
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॥ ५॥
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किरीटकुण्डलश्रीभुजशोभितरथोपरिमृदुहासम्
॥ ६॥
श्रीपुरुषोत्तमकीर्तिरनुकूलसौख्यदपारमहंसम्
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॥ ७॥
इति नन्दप्रदीप्तकुमारविरचितं जगन्नाथगीतामृतं सम्पूर्णम् ।
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